Friday, 30 September 2011

भगत सिंह को नमन


यह पंक्तियाँ अपने आदर्श अमर शहीद भगत सिंह जी के 104वें जन्म-दिवस के अवसर पर लिखी थी।


ल्यालपुर में जन्म लिया था सन उन्निस सौ सात में,
पाई शहादत सुखदेव और राजगुरु के साथ में


जिसने अंग्रेज़ों की संसद में बम मारे थे,
जिसके नाम मात्र से कांपते गोरे सारे थे


पूर्ण स्वराज की माँग उठाकर जिसने राह दिखाई,
जिसने भरी जवानी में थी अपनी जान लुटाई


उस भगत सिंह को मेरा शत-शत बार नमन है,
भारत माँ के सच्चे सपूत को बारंबार नमन है
 

Thursday, 29 September 2011

सीधे शंखनाद होगा........

जो कहते हैं कि राज किया है हम पर उन्होंने सैकड़ों साल,
उनसे कह दो कि मानसिंहों और जयचंदों का था ये कमाल।

कुछ अपने ही थे धर्म-द्रोही जो करते रहे विश्वासघात,
वरना सिंहों पर राज करें श्वानों की इतनी कहाँ बिसात।

प्रभू राम-क्रष्ण का धर्म महान तुम इससे क्या टकराओगे,
ज्यों अब तक मिटते आये हो आगे भी मिटते जाओगे।

तुम हो गौरी के वंश-अंश तुम अभय-दान के पात्र नहीं,
जो भूल हुई राजा प्रथ्वी से अब होगी लेष-मात्र नहीं।

अब बंग से लेकर पिंडी तक हम आर्यावर्त बनायेंगे,
मर कर दफ़नाये जाते हो तुम्हें जीवित हम दफ़नायेंगे।

अब तक जो त्रुटी हुई हमसे हर त्रुटी सुधारी जायेगी,
अब भगवा के हाथों ये
पूरी कौम ही मारी जायेगी।

ना होगी कोई चेतावनी और ना ही कोई संवाद होगा,

अबकी जो भभका क्रोधाग्नल तो सीधे शंखनाद होगा।

सीधे शंखनाद होगा, सीधे शंखनाद होगा.........