यह पंक्तियाँ अपने आदर्श अमर शहीद भगत सिंह जी के 104वें जन्म-दिवस के अवसर पर लिखी थी।
ल्यालपुर में जन्म लिया था सन उन्निस सौ सात में,
पाई शहादत सुखदेव और राजगुरु के साथ में।
जिसने अंग्रेज़ों की संसद में बम मारे थे,
जिसके नाम मात्र से कांपते गोरे सारे थे।
पूर्ण स्वराज की माँग उठाकर जिसने राह दिखाई,
जिसने भरी जवानी में थी अपनी जान लुटाई।
उस भगत सिंह को मेरा शत-शत बार नमन है,
भारत माँ के सच्चे सपूत को बारंबार नमन है।