Tuesday, 31 January 2012

सोमनाथ का दर्द.....

प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग था रत्न-जड़ित महान,
मंदिर सोमनाथ का था हिंद देश की शान।

तीर्थ यात्री आते थे लाखों दर्शन करने वहाँ,
और सहस्त्रों ब्राह्मण करते थे प्रभु की सेवा।

सैकड़ों नर्तक-गायक अपनी कला दिखाते थे,
और बाबा सोमनाथ की महिमा गाते जाते थे।

सबको था पूर्ण विश्वास कि बाबा रक्षा करेंगे,
यदि विधर्मी-हमला हुआ तो तीसरा नेत्र खोलेंगे।

भूल गये कि प्रभु आकर उनको ही बचाते हैं,
धर्म-रक्षा हेतू जो बढ़कर शस्त्र उठाते हैं।

हू-अकबर चिल्लाते हुए राक्षसों की सेना आई,
गाजर-मूली जैसे काटा, लहू की नदी बहाई।

शिवलिंग तब खंडित हुआ, मरे काफ़िर पचास हज़ार,
'शांति का धर्म' था खड़ा हाथ लिए तलवार।

उखड़े मंदिर के किवाड़ और लुटा मंदिर का कोष,
और सहिष्णू देते रहे सोमनाथ को दोष।

एक नहीं असंख्य मंदिरों की ऐसी ही कहानी है,
और जो बचे हुए हैं उनकी भी दुर्गत हो जानी है।

अवतार की आस लगाकर के कुछ प्राप्त नहीं हो पायेगा,
धर्म-रक्षा तब ही होगी जब हिंदू शस्त्र उठायेगा।

Thursday, 19 January 2012

जब याद गोधरा आता है......

जब याद गोधरा आता है आँखों में आँसू आते हैं,
कश्मीरी पंडितों की पीड़ा कुछ हिंदू भूल क्यों जाते हैं।

हर बार विधर्मी शैतानों ने धर्म पर हैं प्रहार कीये,
हर बार सहिष्णू बन कर हमने जाने कितने कष्ट सहे।

अब और नहीं चुप रहना है अब और नहीं कुछ सहना है,
जैसा आचरण करेगा जो, वो सूद समेत दे देना है।

क्या भूल गये राजा प्रथ्वी ने गौरी को क्षमा-दान दीया,
और बदले में उसने राजा की आँखों को निकाल लीया।

ये वंश वही है बाबर का जो राम का मंदिर गिरा गया,
और पावन सरयू धरती पर बाबरी के पाप को सजा गया।

अकबर को जो कहते महान क्या उन्हें सत्य का ज्ञान नहीं,
या उनके हृदय में जौहर हुई माताओं के लिए सम्मान नहीं।

औरंगज़ेब की क्रूरता भी क्या याद पुन: दिलवाऊँ मैं,
टूटे जनेऊ और मिटे तिलक के दर्शन पुन: कराऊँ मैं।

तुम भाई कहो उनको लेकिन तुमको वो काफ़िर मानेंगे,
और जन्नत जाने की खातिर वो शीश तुम्हारा उतारेंगे।

धर्मो रक्षति रक्षित: के अर्थ को अब पहचानो तुम,
धर्म बस एक 'सनातन' है, कोई मिथ्या-भ्रम मत पालो तुम।