उठो युवा रणभेरी बज चुकी, मात्र-भूमि की पुकार है,
जो अब भी ना जागे तो तुम्हारे जीवन पर धिक्कार है।
रहे गुलाम कई सदियों अब तोड़ो दास्तां की बेड़ीयाँ,
करो माता को सर्वस्व समर्पित यह माँ का अधिकार है।
माता का वह वैभव अपार जिस पर माता शोभित थी कभी,
तुम याद करो वह अत्याचार जो देश-धर्म पर हुए सभी।
अब उनको समुचित उत्तर दो जो करते अत्याचार हैं,
उठो युवा रणभेरी................
शैतान पड़ोसी आँख गड़ाये बैठा अपनी धरती पर,
आतंकवाद का जाल फैलाया है जिसने माँ भारती पर।
वार्तालाप अब बहुत हो चुका, करना उस पर वार है,
उठो युवा रणभेरी..........
एक ओर से ड्रैगन हमको आँख दिखाया करता है,
72000 वर्ग मील धरा पर धाक जमाया करता है।
अब मानसरोवर वापस लेंगे उस पर अपना अधिकार है,
उठो युवा रणभेरी.........
पर सबसे पहले घर को साफ कराना बहुत जरुरी है,
वो भीतराघाती जो व्यवस्था की आज बने मजबूरी हैं।
देश-धर्म के वो दुश्मन जो पीठ पे करते वार हैं,
उठो युवा रणभेरी........
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