एक बार फिर देश में स्वतंत्रता संग्राम हो जाने दो,
एक बार फिर हृदय को सबके राग बसंती गाने दो.
एक बार फिर से चमके रानी झाँसी की तलवारें,
एक बार फिर वीर सावरकर को हूँकार लगाने दो.
एक बार फिर गूँज उठे मंगल पांडे की लल्कारें,
एक बार फिर संसद में थोडे से बम गिर जाने दो.
एक बार फिर लालाजी का नारा हो 'साइमन गो बैक',
एक बार फिर पंडित जी को कुछ अंग्रेज़ उडाने दो.
एक बार फिर से बिस्मिल के हाथों में हों बंदूकें,
एक बार फिर नेताजी को लहु की माँग उठाने दो.
और उदय हो जाने दो अनंत स्वतंत्रता का सूरज,
एक बार फिर हिंद को मेरे आज़ादी को पाने दो.
एक बार फिर हृदय को सबके राग बसंती गाने दो.
एक बार फिर से चमके रानी झाँसी की तलवारें,
एक बार फिर वीर सावरकर को हूँकार लगाने दो.
एक बार फिर गूँज उठे मंगल पांडे की लल्कारें,
एक बार फिर संसद में थोडे से बम गिर जाने दो.
एक बार फिर लालाजी का नारा हो 'साइमन गो बैक',
एक बार फिर पंडित जी को कुछ अंग्रेज़ उडाने दो.
एक बार फिर से बिस्मिल के हाथों में हों बंदूकें,
एक बार फिर नेताजी को लहु की माँग उठाने दो.
और उदय हो जाने दो अनंत स्वतंत्रता का सूरज,
एक बार फिर हिंद को मेरे आज़ादी को पाने दो.
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