Wednesday, 19 December 2012

मानव हो तो जीवन को करो मात्र-भूमि के नाम....

होती है जिनकी सुबह ग़ालिब की नज़्म से,
और मीर की रुबाईयों के साथ होती शाम।

वो किस तरह बचायेंगे बिस्मिल के देश को,
रहता है जिनके होठों पर केवल सनम का नाम।


गर आशिकी का शौक है तो देश से करो,
आ सकते हो तो आओ अपने वतन के काम।

घर तो बसा लेते हैं चिड़ीया-कौवे भी लेकिन,
मानव हो तो जीवन को करो मात्र-भूमि के नाम।

Tuesday, 20 March 2012

उठो युवा रणभेरी........

उठो युवा रणभेरी बज चुकी, मात्र-भूमि की पुकार है,
जो अब भी ना जागे तो तुम्हारे जीवन पर धिक्कार है।
रहे गुलाम कई सदियों अब तोड़ो दास्तां की बेड़ीयाँ,
करो माता को सर्वस्व समर्पित यह माँ का अधिकार है।

माता का वह वैभव अपार जिस पर माता शोभित थी कभी,
तुम याद करो वह अत्याचार जो देश-धर्म पर हुए सभी।
अब उनको समुचित उत्तर दो जो करते अत्याचार हैं,
उठो युवा रणभेरी................

शैतान पड़ोसी आँख गड़ाये बैठा अपनी धरती पर,
आतंकवाद का जाल फैलाया है जिसने माँ भारती पर।
वार्तालाप अब बहुत हो चुका, करना उस पर वार है,
उठो युवा रणभेरी..........

एक ओर से ड्रैगन हमको आँख दिखाया करता है,
72000 वर्ग मील धरा पर धाक जमाया करता है।
अब मानसरोवर वापस लेंगे उस पर अपना अधिकार है,
उठो युवा रणभेरी.........

पर सबसे पहले घर को साफ कराना बहुत जरुरी है,
वो भीतराघाती जो व्यवस्था की आज बने मजबूरी हैं।
देश-धर्म के वो दुश्मन जो पीठ पे करते वार हैं,
उठो युवा रणभेरी........

Sunday, 11 March 2012

गोधरा की तुम सोच ना लेना.......

गोधरा की तुम सोच ना लेना, हम गुजरात दोहरा देंगे,
अबकी बार जामा मस्जिद तक पर भगवा फहरा देंगे।

देश ने तुमको युँ माना जैसे चिराग होता घर का,
किसे पता था ये चिराग खुद घर में आग लगा देंगे।

नफ़रत की ज्वाला भड़काकर तुमने कश्मीर जलाया है,
उस आग को देकर दिशा नई अब स्वाहा तुम्हें करा देंगे।

वर्षों बीत गये हैं मगर बाबरी-बाबरी चिल्लाते हो,
अब बारी मथुरा-काशी की, वहाँ भी शुद्धी करवा देंगे।

1200 साल के अत्याचार ना भूले हैं, ना भूलेंगे,
तुम भूल भी जाओगे तो तुमको याद पुन: दिलवा देंगे।

वो दिन हवा हुए जब हम शांती की माला जपते थे,
अब माँओं ने हैं शेर जने जो चीर के तुम्हें दफ़ना देंगे।

हर बार तुम्हारे वार के बदले हमने तुमको प्यार दीया,
अब वार के बदले होगा वार, धरती से तुम्हें मिटा देंगे।

Tuesday, 6 March 2012

जिधर भी देखो.........

जिधर भी देखो काश्मीर शमशान सरीखा दिखता था,
मानवता का नाम वहाँ पर फीका-फीका दिखता था।

मूलनिवासी पंडितों ने वहाँ हैवानीयत को देखा है,
आज भी उनकी आँखों से बहती उस दर्द की रेखा है।

माँ-बहनें बाजारों में निर्वस्त्र दौड़ाई जाती थीं,
जहाँ भी हिंदू दिखता था, तलवार चलाई जाती थी।

मंदिर तोड़े जाते थे, बस्तीयाँ जलाई जाती थीं,
भारत माँ को देकर गाली शान दिखाई जाती थी।

आज भी उसी काश्मीर में भारत माँ शर्मिंदा हैं,
माँ को छलनी करने वाले दैत्य अभी तक जिंदा हैं।

पाकिस्तानी नारे गाते जिनके होंठ नहीं थकते,
जिनको भारत माता की आँखों के आँसू नहीं दिखते।

जो मेरी माता का आँचल नोच रहे हैं फाड़ रहे,
जो रह-रह कर माता के सीने में खंजर गाड़ रहे।

क्यों ना उनके हाथों के टुकड़े सहस्त्र कर डालूँ मैं,
क्यों ना उनको जीवित ही इस धरती में दफ़ना दूँ मैं।

Tuesday, 31 January 2012

सोमनाथ का दर्द.....

प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग था रत्न-जड़ित महान,
मंदिर सोमनाथ का था हिंद देश की शान।

तीर्थ यात्री आते थे लाखों दर्शन करने वहाँ,
और सहस्त्रों ब्राह्मण करते थे प्रभु की सेवा।

सैकड़ों नर्तक-गायक अपनी कला दिखाते थे,
और बाबा सोमनाथ की महिमा गाते जाते थे।

सबको था पूर्ण विश्वास कि बाबा रक्षा करेंगे,
यदि विधर्मी-हमला हुआ तो तीसरा नेत्र खोलेंगे।

भूल गये कि प्रभु आकर उनको ही बचाते हैं,
धर्म-रक्षा हेतू जो बढ़कर शस्त्र उठाते हैं।

हू-अकबर चिल्लाते हुए राक्षसों की सेना आई,
गाजर-मूली जैसे काटा, लहू की नदी बहाई।

शिवलिंग तब खंडित हुआ, मरे काफ़िर पचास हज़ार,
'शांति का धर्म' था खड़ा हाथ लिए तलवार।

उखड़े मंदिर के किवाड़ और लुटा मंदिर का कोष,
और सहिष्णू देते रहे सोमनाथ को दोष।

एक नहीं असंख्य मंदिरों की ऐसी ही कहानी है,
और जो बचे हुए हैं उनकी भी दुर्गत हो जानी है।

अवतार की आस लगाकर के कुछ प्राप्त नहीं हो पायेगा,
धर्म-रक्षा तब ही होगी जब हिंदू शस्त्र उठायेगा।

Thursday, 19 January 2012

जब याद गोधरा आता है......

जब याद गोधरा आता है आँखों में आँसू आते हैं,
कश्मीरी पंडितों की पीड़ा कुछ हिंदू भूल क्यों जाते हैं।

हर बार विधर्मी शैतानों ने धर्म पर हैं प्रहार कीये,
हर बार सहिष्णू बन कर हमने जाने कितने कष्ट सहे।

अब और नहीं चुप रहना है अब और नहीं कुछ सहना है,
जैसा आचरण करेगा जो, वो सूद समेत दे देना है।

क्या भूल गये राजा प्रथ्वी ने गौरी को क्षमा-दान दीया,
और बदले में उसने राजा की आँखों को निकाल लीया।

ये वंश वही है बाबर का जो राम का मंदिर गिरा गया,
और पावन सरयू धरती पर बाबरी के पाप को सजा गया।

अकबर को जो कहते महान क्या उन्हें सत्य का ज्ञान नहीं,
या उनके हृदय में जौहर हुई माताओं के लिए सम्मान नहीं।

औरंगज़ेब की क्रूरता भी क्या याद पुन: दिलवाऊँ मैं,
टूटे जनेऊ और मिटे तिलक के दर्शन पुन: कराऊँ मैं।

तुम भाई कहो उनको लेकिन तुमको वो काफ़िर मानेंगे,
और जन्नत जाने की खातिर वो शीश तुम्हारा उतारेंगे।

धर्मो रक्षति रक्षित: के अर्थ को अब पहचानो तुम,
धर्म बस एक 'सनातन' है, कोई मिथ्या-भ्रम मत पालो तुम।